BA Semester-2 Ancient Indian History and Culture - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-2 प्राचीन भारतीय इतिहात एवं संस्कृति - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 प्राचीन भारतीय इतिहात एवं संस्कृति

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2723
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 प्राचीन भारतीय इतिहात एवं संस्कृति - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- कुषाणों के भारत में शासन पर एक निबन्ध लिखिए।

अथवा
कुषाण वंश के शासकों तथा उनकी राजनैतिक उपलब्धियों के विषय में बताइए।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. कुजुल कैडफिसेस के विषय में बताइए।
2. कुषाणों का प्रथम शासक कौन था?
3. विम कैडफिसेस के जीवन के विषय में बताइए।
4. विम कैडफिसेस कौन था? वर्णन कीजिए।
5. कनिष्क के भारत में शासन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

उत्तर-

कुषाण वंश के प्रमुख शासक व उनकी उपलब्धियाँ

कुषाण वंश के शासकों के विषय में मुख्यतः चीनी स्रोतों से पर्याप्त जानकारी मिलती है। चीनी ग्रन्थों में पान-कु कृत 'सिएन-हान-शू' तथा फान ए कृत 'हाऊ - हान- शू' उपयोगी हैं। 'सिएन- हान- शू' से यू-ची जाति के हूण, शक तथा पार्थियन राजाओं के साथ संघर्ष का विवरण मिलता है तथा ज्ञात होता है कि यू-ची जाति पाँच कबीलों में विभक्त थी। 'हाऊ - हान- शू' से 25 ईस्वी से लेकर 125 ईस्वी तक यू-ची जाति का इतिहास ज्ञात होता है। इससे पता चलता है कि यू-ची कबीला कुई- शुआंग (कुषाण) सबसे शक्तिशाली था जिसके सस्दार कुजुल कैडफिसेस ने अन्य कबीलों को जीतकर एक शक्तिशाली कुषाण राज्य का निर्माण किया था।

कुजुल कैडफिसेस - कुषाण वंश का प्रथम शासक कुजुल कैडफिसेस अथवा कैडफिसेस प्रथम था। वह एक वीर योद्धा और कुशल नेता था। उसकी उपलब्धियों के विषय में 'हाऊ-हान- शू' तथा उसके सिक्कों से पर्याप्त सूचना मिलती है। उसने पार्थियनों पर आक्रमण कर क़िपिन तथा काबुल पर अधिकार कर लिया। इस प्रकार वह भारत के पश्चिमोत्तर प्रदेश का शासक बन बैठा। कुजुल ने पह्नवों को परास्त कर काबुल तथा कान्धार पर अधिकार कर लिया था। इस प्रकार उसके समय में कुषाण साम्राज्य के अन्तर्गत सम्पूर्ण अफगानिस्तान तथा गन्धार के प्रदेश सम्मिलित हो गये थे। पार्थिया तथा काबुल की विजय से पश्चिमी विश्व के साथ उसका घनिष्ठ सम्बन्ध स्थापित हो गया। साधारणतया कुजुल का शासन काल 15 ईस्वी से 65 ईस्वी के बीच माना जाता है। उसकी मृत्यु 80 वर्ष की दीर्घायु में हुई थी।

विम कैडफिसेस - कुजुल कैडफिसेस की मृत्यु के पश्चात् विम कैडफिसेस कुषाण वंश का शासक हुआ। चीनी ग्रन्थ 'हाऊ-हान- शू' से ज्ञात होता है कि उसने 'तिएन-चू' की विजय की थी तथा अपने एक सेनापति को वहाँ का शासक नियुक्त किया था। उसने स्वर्ण तथा ताँबे के सिक्के खुदवाये थे जिनका विस्तार पश्चिम में आक्सस - काबुल घाटी से लेकर पूर्व में सम्पूर्ण सिन्ध क्षेत्र तक था। कुछ सिक्के भीटा, कौशाम्बी (प्रयाग), बक्सर तथा बसाढ़ (बिहार) से भी मिले हैं। विम कैडफिसेस ने 'महेश्वर' की उपाधि ग्रहण की थी। प्लिनी के अनुसार उसके समय में भारत तथा रोम के व्यापारिक सम्बन्ध अत्यन्त विकसित थे। उसके समय में कुषाण साम्राज्य मथुरा तक फैल गया था। विम कैडफिसेस ने सम्भवतः 65 ईस्वी से 78 ईस्वी तक शासन किया।

कनिष्क - विम कैडफिसेस के पश्चात् कुषाण शासन की बागडोर कनिष्क के हाथों में आई। कनिष्क निश्चित रूप से भारत के कुषाग राजाओं में सबसे महान था जिसने कैडफिसेस साम्राज्य को बहुत अधिक विस्तृत किया। उसने पूर्वी भारत पश्चिमोत्तर प्रदेशों, दक्षिण भारत, चीन आदि पर विजय प्राप्त की। अपनी अनेकानेक विजयों के द्वारा उसने अपने लिये एक विशाल साम्राज्य का निर्माण किया।

कनिष्क के शासन प्रबन्ध के विषय में बहुत कम जानकारी उपलब्ध होती है। वह एक शक्ति - सम्पन्न सम्राट था। लेखों में उसे 'महाराजराजाधिराजदेवपुत्र' कहा गया है। प्रशासन की सुविधा के लिये उसने साम्राज्य को अनेक क्षत्रपियों में विभाजित किया था। बड़ी क्षेत्रपी के शासक को 'महाक्षत्रप' तथा छोटी क्षत्रपी के शासक को 'क्षत्रप कहा जाता था।

संस्कृत बौद्ध ग्रन्थों के चीनी अनुवाद से कनिष्क के अन्तिम दिनों के विषय में ज्ञात होता है। इसके अनुसार उसकी लोलुपता, निर्दयता तथा महत्वाकांक्षा से प्रजा में भारी असंतोष फैल गया था। निरन्तर युद्धों के कारण उसके सैनिक परेशान हो गये थे। एक बार जब वह उत्तरी अभियान पर जा रहा था, मार्ग में बीमार पड़ गया। उसी समय उसके सैनिकों ने लिहाफ से उसका मुँह ढँककर मुग्दरों से पीटकर उसे मार डाला। उसने कुषाण वंश पर 23 वर्षों तक राज्य किया।-

कनिष्क के उत्तराधिकारी - कनिष्क की मृत्यु के पश्चात् उसका बड़ा पुत्र वासिष्क कुषाण वंश की गद्दी पर बैठा। उसने कनिष्क संवत् 24 से 28 (102-106 ईस्वी) अर्थात् चार वर्षों तक शासन किया। उसके अभिलेख के प्राप्ति स्थानों से इस बात की पुष्टि होती है कि उसका साम्राज्य मथुरा से पूर्वी मालवा तक विस्तृत था।

वासिष्क के बाद हुविष्क कनिष्क संवत् 28 से 62 तक शासक हुआ। उसका साम्राज्य कनिष्क के समान ही विशाल था। उसके समय में कुषाण सत्ता का प्रमुख केन्द्र पेशावर से हटकर मथुरा हो गया।

हुविष्क के पश्चात् कनिष्क द्वितीय कनिष्क संवत् 62 से 67 तक राजा हुआ। वह वासिष्क का पुत्र था। ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि उसने कुछ समय तक हुविष्क के साथ मिलकर शासन किया था। उसने 'महाराज', 'राजाधिराज' देवपुत्र आदि उपाधियाँ धारण की थीं।

कनिष्क वंश का अन्तिम महान सम्राट वासुदेव कनिष्क संवत् 67 से 98 तक हुआ। उसके समय में पश्चिमोत्तर प्रदेश से कुषाणों का प्रभाव कम होने लगा था। वासुदेव शैव मतानुयायी था। उसकी मुद्राओं पर शिव तथा नन्दी की आकृतियाँ उत्कीर्ण मिलती हैं।

वासुदेव के अन्त के साथ ही कनिष्क कुल का अन्त हुआ। इस वंश के राजाओं ने लगभग 99 वर्षों तक शासन किया। उनका विशाल साम्राज्य बैक्ट्रिया से बिहार तक फैला था। इस वंश के शासक धर्म सहिष्णु थे। अतः उन्होंने भारतीय संस्कृति को संरक्षण एवं प्रोत्साहन दिया तथा उत्तरी भारत में राजनीतिक एकता की स्थापना की।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास को समझने हेतु उपयोगी स्रोतों का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- प्राचीन भारत के इतिहास को जानने में विदेशी यात्रियों / लेखकों के विवरण की क्या भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।
  3. प्रश्न- प्राचीन भारत के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की सुस्पष्ट जानकारी दीजिये।
  4. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के विषय में आप क्या जानते हैं?
  5. प्रश्न- भास की कृति "स्वप्नवासवदत्ता" पर एक लेख लिखिए।
  6. प्रश्न- 'फाह्यान' पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  7. प्रश्न- दारा प्रथम तथा उसके तीन महत्वपूर्ण अभिलेख के विषय में बताइए।
  8. प्रश्न- आपके विषय का पूरा नाम क्या है? आपके इस प्रश्नपत्र का क्या नाम है?
  9. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - प्राचीन इतिहास अध्ययन के स्रोत
  10. उत्तरमाला
  11. प्रश्न- बिम्बिसार के समय से नन्द वंश के काल तक मगध की शक्ति के विकास का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- नन्द कौन थे महापद्मनन्द के जीवन तथा उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
  13. प्रश्न- छठी सदी ईसा पूर्व में गणराज्यों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  14. प्रश्न- छठी शताब्दी ई. पू. में महाजनपदीय एवं गणराज्यों की शासन प्रणाली के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
  15. प्रश्न- बिम्बिसार की राज्यनीति का वर्णन कीजिए तथा परिचय दीजिए।
  16. प्रश्न- उदयिन के जीवन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  17. प्रश्न- नन्द साम्राज्य की विशालता का वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- धननंद और कौटिल्य के सम्बन्ध का उल्लेख कीजिए।
  19. प्रश्न- धननंद के विषय में आप क्या जानते हैं?
  20. प्रश्न- मगध की भौगोलिक सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
  21. प्रश्न- गणराज्य किसे कहते हैं?
  22. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - महाजनपद एवं गणतन्त्र का विकास
  23. उत्तरमाला
  24. प्रश्न- मौर्य कौन थे? इस वंश के इतिहास जानने के स्रोतों का उल्लेख कीजिए तथा महत्व पर प्रकाश डालिए।
  25. प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के विषय में आप क्या जानते हैं? उसकी उपलब्धियों और शासन व्यवस्था पर निबन्ध लिखिए|
  26. प्रश्न- सम्राट बिन्दुसार का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  27. प्रश्न- कौटिल्य और मेगस्थनीज के विषय में आप क्या जानते हैं?
  28. प्रश्न- मौर्यकाल में सम्राटों के साम्राज्य विस्तार की सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
  29. प्रश्न- सम्राट के धम्म के विशिष्ट तत्वों का निरूपण कीजिए।
  30. प्रश्न- भारतीय इतिहास में अशोक एक महान सम्राट कहलाता है। यह कथन कहाँ तक सत्य है? प्रकाश डालिए।
  31. प्रश्न- मौर्य साम्राज्य के पतन के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
  32. प्रश्न- मौर्य वंश के पतन के लिए अशोक कहाँ तक उत्तरदायी था?
  33. प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के बचपन का वर्णन कीजिए।
  34. प्रश्न- अशोक ने धर्म प्रचार के क्या उपाय किये थे? स्पष्ट कीजिए।
  35. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - मौर्य साम्राज्य
  36. उत्तरमाला
  37. प्रश्न- शुंग कौन थे? पुष्यमित्र का शासन प्रबन्ध लिखिये।
  38. प्रश्न- कण्व या कण्वायन वंश को स्पष्ट कीजिए।
  39. प्रश्न- पुष्यमित्र शुंग की धार्मिक नीति की विवेचना कीजिए।
  40. प्रश्न- पतंजलि कौन थे?
  41. प्रश्न- शुंग काल की साहित्यिक एवं कलात्मक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  42. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - शुंग तथा कण्व वंश
  43. उत्तरमाला
  44. प्रश्न- सातवाहन युगीन दक्कन पर प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- आन्ध्र-सातवाहन कौन थे? गौतमी पुत्र शातकर्णी के राज्य की घटनाओं का उल्लेख कीजिए।
  46. प्रश्न- शक सातवाहन संघर्ष के विषय में बताइए।
  47. प्रश्न- जूनागढ़ अभिलेख के माध्यम से रुद्रदामन के जीवन तथा व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए।
  48. प्रश्न- शकों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  49. प्रश्न- नहपान कौन था?
  50. प्रश्न- शक शासक रुद्रदामन के विषय में बताइए।
  51. प्रश्न- मिहिरभोज के विषय में बताइए।
  52. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - सातवाहन वंश
  53. उत्तरमाला
  54. प्रश्न- कलिंग नरेश खारवेल के इतिहास पर प्रकाश डालिए।
  55. प्रश्न- कलिंगराज खारवेल की उपलब्धियों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  56. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - कलिंग नरेश खारवेल
  57. उत्तरमाला
  58. प्रश्न- हिन्द-यवन शक्ति के उत्थान एवं पतन का निरूपण कीजिए।
  59. प्रश्न- मिनेण्डर कौन था? उसकी विजयों तथा उपलब्धियों पर चर्चा कीजिए।
  60. प्रश्न- एक विजेता के रूप में डेमेट्रियस की प्रमुख उपलब्धियों की विवेचना कीजिए।
  61. प्रश्न- हिन्द पहलवों के बारे में आप क्या जानते है? बताइए।
  62. प्रश्न- कुषाणों के भारत में शासन पर एक निबन्ध लिखिए।
  63. प्रश्न- कनिष्क के उत्तराधिकारियों का परिचय देते हुए यह बताइए कि कुषाण वंश के पतन के क्या कारण थे?
  64. प्रश्न- हिन्द-यवन स्वर्ण सिक्के पर प्रकाश डालिए।
  65. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - भारत में विदेशी आक्रमण
  66. उत्तरमाला
  67. प्रश्न- गुप्तों की उत्पत्ति के विषय में आप क्या जानते हैं? विस्तृत विवेचन कीजिए।
  68. प्रश्न- काचगुप्त कौन थे? स्पष्ट कीजिए।
  69. प्रश्न- प्रयाग प्रशस्ति के आधार पर समुद्रगुप्त की विजयों का उल्लेख कीजिए।
  70. प्रश्न- चन्द्रगुप्त (द्वितीय) की उपलब्धियों के बारे में विस्तार से लिखिए।
  71. प्रश्न- गुप्त शासन प्रणाली पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
  72. प्रश्न- गुप्तकाल की साहित्यिक एवं कलात्मक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- गुप्तों के पतन का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- गुप्तों के काल को प्राचीन भारत का 'स्वर्ण युग' क्यों कहते हैं? विवेचना कीजिए।
  75. प्रश्न- रामगुप्त की ऐतिहासिकता पर विचार व्यक्त कीजिए।
  76. प्रश्न- गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य के विषय में बताइए।
  77. प्रश्न- आर्यभट्ट कौन था? वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- स्कन्दगुप्त की उपलब्धियों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  79. प्रश्न- राजा के रूप में स्कन्दगुप्त के महत्व की विवेचना कीजिए।
  80. प्रश्न- कुमारगुप्त पर संक्षेप में टिप्पणी लिखिए।
  81. प्रश्न- कुमारगुप्त प्रथम की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  82. प्रश्न- गुप्तकालीन भारत के सांस्कृतिक पुनरुत्थान पर प्रकाश डालिए।
  83. प्रश्न- कालिदास पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  84. प्रश्न- विशाखदत्त कौन था? वर्णन कीजिए।
  85. प्रश्न- स्कन्दगुप्त कौन था?
  86. प्रश्न- जूनागढ़ अभिलेख से किस राजा के विषय में जानकारी मिलती है? उसके विषय में आप सूक्ष्म में बताइए।
  87. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - गुप्त वंश
  88. उत्तरमाला
  89. प्रश्न- दक्षिण के वाकाटकों के उत्कर्ष का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  90. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - वाकाटक वंश
  91. उत्तरमाला
  92. प्रश्न- हूण कौन थे? तोरमाण के जीवन तथा उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
  93. प्रश्न- हूण आक्रमण के भारत पर क्या प्रभाव पड़े? स्पष्ट कीजिए।
  94. प्रश्न- गुप्त साम्राज्य पर हूणों के आक्रमण का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  95. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - हूण आक्रमण
  96. उत्तरमाला
  97. प्रश्न- हर्ष के समकालीन गौड़ नरेश शशांक के विषय में आप क्या जानते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  98. प्रश्न- हर्ष का समकालीन शासक शशांक के साथ क्या सम्बन्ध था? मूल्यांकन कीजिए।
  99. प्रश्न- हर्ष की सामरिक उपलब्धियों के परिप्रेक्ष्य में उसका मूल्यांकन कीजिए।
  100. प्रश्न- सम्राट के रूप में हर्ष का मूल्यांकन कीजिए।
  101. प्रश्न- हर्षवर्धन की सांस्कृतिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिये?
  102. प्रश्न- हर्ष का मूल्यांकन पर टिप्पणी कीजिये।
  103. प्रश्न- हर्ष का धर्म पर टिप्पणी कीजिये।
  104. प्रश्न- पुलकेशिन द्वितीय पर टिप्पणी कीजिये।
  105. प्रश्न- ह्वेनसांग कौन था?
  106. प्रश्न- प्रभाकर वर्धन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  107. प्रश्न- गौड़ पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  108. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - वर्धन वंश
  109. उत्तरमाला
  110. प्रश्न- मौखरी वंश की उत्पत्ति के विषय में बताते हुए इस वंश के प्रमुख शासकों का उल्लेख कीजिए।
  111. प्रश्न- मौखरी कौन थे? मौखरी राजाओं के जीवन तथा उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  112. प्रश्न- मौखरी वंश का इतिहास जानने के साधनों का वर्णन कीजिए।
  113. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - मौखरी वंश
  114. उत्तरमाला
  115. प्रष्न- परवर्ती गुप्त शासकों का राजनैतिक इतिहास बताइये।
  116. प्रश्न- परवर्ती गुप्त शासकों के मौखरी शासकों से किस प्रकार के सम्बन्ध थे? स्पष्ट कीजिए।
  117. प्रश्न- परवर्ती गुप्तों के इतिहास पर टिप्पणी लिखिए।
  118. प्रश्न- परवर्ती गुप्त शासक नरसिंहगुप्त 'बालादित्य' के विषय में बताइये।
  119. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - परवर्ती गुप्त शासक
  120. उत्तरमाला

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